2025 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए 3 भविष्यवाणियाँ – ग्रेगोरी डाको की भविष्यवाणियाँ”
अमेरिकी अर्थव्यवस्था 2025 में एक नई दिशा की ओर बढ़ रही है, और इस बदलाव से न सिर्फ अमेरिका, बल्कि भारत और दुनिया के अन्य देशों पर भी बड़ा प्रभाव पड़ेगा। क्या अमेरिका वैश्विक विकास में सबसे आगे रहेगा? क्या हम 2025 में रोजगार के अवसरों में कमी देखेंगे? आइए जानते हैं EY के प्रमुख अर्थशास्त्री ग्रेगोरी डाको के अनुसार अमेरिकी अर्थव्यवस्था का भविष्य क्या होगा।
1. बेरोज़गारी दर में वृद्धि की संभावना
ग्रेगोरी डाको का अनुमान है कि 2025 में अमेरिकी बेरोज़गारी दर 4.5% से ऊपर जा सकती है। इसका कारण होगा धीमी गति से नौकरी सृजन। 2024 में हर महीने औसतन 186,000 नई नौकरियाँ बन रही थीं, जबकि 2025 में यह संख्या घटकर 75,000 से 100,000 तक हो सकती है।
व्यवसायों का ध्यान अब विस्तार पर नहीं, बल्कि दक्षता और उत्पादकता बढ़ाने पर होगा। यह कर्मचारियों के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय हो सकता है।
भारत पर असर:
अमेरिकी बेरोज़गारी दर में वृद्धि से भारतीय IT और सर्विस सेक्टर को अवसर मिल सकते हैं। अगर अमेरिका में नौकरी की कमी होती है, तो भारतीय कंपनियां वहां के व्यापारिक अवसरों को कैप्चर कर सकती हैं।

2. फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में कटौती धीमी होगी
2024 में अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में तीन बार कटौती की थी, लेकिन डाको का मानना है कि 2025 में यह दरों में कमी धीरे-धीरे की जाएगी। वे अनुमान लगाते हैं कि 2025 में यह कटौती कुल 0.75% तक हो सकती है, जो मार्च, जून और सितंबर में की जा सकती है।
इसका मुख्य कारण मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखना है। यदि टैरिफ बढ़े और आयातित वस्तुएं महंगी हो गईं, तो यह आर्थिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है।
भारत पर असर:
यह नीति भारत के लिए भी महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि वैश्विक ब्याज दरों के बदलाव से भारतीय वित्तीय बाजार पर भी असर पड़ सकता है। अगर अमेरिकी दरें बढ़ती हैं, तो भारत में भी पूंजी का प्रवाह प्रभावित हो सकता है।
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3. अमेरिका वैश्विक विकास का नेता बनेगा
ग्रेगोरी डाको का मानना है कि अमेरिका 2025 में वैश्विक आर्थिक विकास में अग्रणी रहेगा। इसके पीछे कारण हैं—आय में वृद्धि, उत्पादकता में सुधार, और मौद्रिक नीतियों में ढील। अमेरिकी सरकार द्वारा किए गए टैक्स कट्स और व्यापारिक नीति बदलाव से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। लेकिन यह विकास बिना किसी विघटन के नहीं होगा।
अमेरिका की बढ़ती शक्ति का असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा। भारत, चीन, और यूरोपीय संघ जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं को इसका फायदा मिल सकता है, लेकिन साथ ही अमेरिकी नीतियों से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में उतार-चढ़ाव भी आएंगे।
भारत पर असर:
अगर अमेरिका में नीति बदलावों से चीन और यूरोप में व्यापार प्रभावित होता है, तो भारत को उन क्षेत्रों में नई संभावनाएं मिल सकती हैं। साथ ही, भारतीय कंपनियां अमेरिकी बाजार में विस्तार के लिए तैयार हो सकती हैं।
अंतिम विचार: अमेरिकी अर्थव्यवस्था और वैश्विक प्रभाव
2025 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं। जहां एक ओर अमेरिका की वृद्धि से वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को फायदा हो सकता है, वहीं दूसरी ओर नीति बदलाव और बेरोज़गारी में वृद्धि से चुनौतियाँ भी सामने आएंगी। भारत और अन्य देशों को इन परिवर्तनों के प्रति सतर्क रहना होगा और अवसरों को पहचानना होगा।
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