Team India: Seniors and Juniors चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के जीत पर खतरा?

*चैंपियंस ट्रॉफी 2025: ‘ड्रेसिंग रूम दरबार’ से लेकर ‘मैदान की महारत’ तक की कहानी*

      भारतीय क्रिकेट टीम का ड्रेसिंग रूम इस वक्त राजनीति, भावनाओं और सस्पेंस से भरपूर किसी बॉलीवुड फिल्म का सीन लग रहा है। एक तरफ सीनियर खिलाड़ी अपनी ‘कुर्सी’ बचाने में लगे हैं, तो दूसरी तरफ जूनियर खिलाड़ियों का जोश, ‘अब हमारी बारी है’ के अंदाज में उफान मार रहा है।
      चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के लिए यह ड्रामा ऐसा चल रहा है कि दर्शकों को मैच से पहले ही एंटरटेनमेंट का डोज मिल रहा है।
Team India
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कप्तानी का सस्पेंस: कौन बनेगा ‘ड्रेसिंग रूम का सिंघम’?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि टीम का कप्तान कौन होगा?

रोहित शर्मा: जिनकी उम्र और फिटनेस को लेकर चर्चा इतनी ज्यादा हो चुकी है कि लगता है, वो अब सिर्फ कढ़ी चावल और आराम के हकदार हैं।
हार्दिक पंड्या: T20 फॉर्मेट में उनकी ‘धमाकेदार’ कप्तानी देखकर कई लोग उन्हें वनडे टीम का अगला लीडर मानने लगे हैं।
युवा सितारे: शुभमन गिल और यशस्वी जायसवाल का कहना है, “भाईसाहब, अब हमें भी मौका दो।”
अब सवाल ये है कि क्या सीनियर्स का अनुभव काम आएगा या युवाओं का ‘फुल चार्ज’ जोश? वैसे टीम का माहौल देखकर लगता है कि यहां हर कोई खुद को ‘किंग इन द नॉर्थ’ समझ रहा है।
चयनकर्ता: खुद का सिर खुजा रहे हैं
   चयनकर्ताओं के पास इस वक्त ऐसा मुश्किल सवाल है, जैसे 10वीं क्लास के बच्चे से पुछा जाए कि ‘साइंस लो या कॉमर्स?’
सीनियर खिलाड़ी: रवींद्र जडेजा और केएल राहुल जैसे अनुभवी दिग्गज, जिनके नाम पर सब सहमत तो हैं, लेकिन फॉर्म को लेकर सवाल खड़े हैं।
जूनियर खिलाड़ी: रिंकू सिंह और सरफराज खान जैसे खिलाड़ी, जो घरेलू मैचों में सबको चौंकाते आ रहे हैं। लेकिन चयनकर्ताओं की आंखें शायद मिचमिचा रही हैं।
अगर ये सिलेक्शन की बहस थोड़ी और खिंच गई, तो हो सकता है किसी दिन IPL के ओनर्स ही आकर टीम चुन लें।
पाकिस्तान, वेन्यू और पॉलिटिक्स का कॉकटेल
 
Champion ट्राफी
 पाकिस्तान के साथ भारत का क्रिकेट रिश्तों का वो चाय-कॉफी का मामला है, जो कभी ‘गरम’ तो कभी ‘ठंडा’ रहता है। चैंपियंस ट्रॉफी के लिए भारत और पाकिस्तान के मैच न्यूट्रल वेन्यू (दुबई) पर शिफ्ट हो गए हैं।
खिलाड़ी सोच रहे हैं कि अब नए माहौल में कैसे ढलें।
“फैंस सोच रहे हैं कि दुबई जाने का खर्चा कौन उठाएगा।”
और आईसीसी शायद यह सोच रही है कि अगला वेन्यू चांद पर रख दें।

ड्रेसिंग रूम का ‘खट्टा-मीठा’ माहौल

टीम इंडिया के ड्रेसिंग रूम में इस वक्त माहौल ऐसा है, जैसे स्कूल के ग्रुप प्रोजेक्ट में सबको अपना-अपना काम करने का मन है, लेकिन कोई साथ में नहीं बैठना चाहता।
सीनियर्स को डर है कि कहीं जूनियर्स उनकी कुर्सी न छीन लें।
वहीं, जूनियर्स शिकायत कर रहे हैं कि उनकी मेहनत को तवज्जो नहीं मिल रही।
इसे ‘इगो का टकराव’ कहें या ‘सपनों की जंग’, लेकिन यह जरूर तय है कि टीम इंडिया को पहले खुद के बीच की दीवारें गिरानी होंगी, तभी मैदान पर कामयाबी की मीनार खड़ी कर पाएगी।
Team India: champion trophy squad
समस्याओं का ‘चटपटा समाधान’
1. कप्तानी का फैसला: भाई, कप्तान वही बनाओ जो टीम को एकजुट कर सके। अब चाहे वो रोहित हों, हार्दिक हों या कोई और।
2. चयन में पारदर्शिता: पर्फॉर्मेंस को देखो, उम्र को नहीं।
3. टीम-बिल्डिंग एक्टिविटीज़: सीनियर्स और जूनियर्स को एक साथ ले जाकर क्रिकेट के बाहर कुछ मजेदार करवाओ। शायद पेंटबॉल या कुकिंग कॉम्पिटिशन काम कर जाए।
4. फोकस ऑन क्रिकेट: बाहरी विवादों को टीम से दूर रखो, क्योंकि खिलाड़ियों को मैदान पर ‘विराट’ बनना है, डिप्लोमैट नहीं।

अंतिम बात: जीत का सपना और हकीकत

टीम इंडिया का सफर इस बार सिर्फ क्रिकेट का नहीं, बल्कि ‘एकता में शक्ति’ को साबित करने का है। अगर ये खिलाड़ी मैदान से बाहर की लड़ाइयों को भुलाकर एकजुट हो जाएं, तो चैंपियंस ट्रॉफी 2025 भारत के नाम हो सकती है।
और अगर नहीं… तो फैंस के पास ‘मीम्स’ बनाने का पूरा मौका होगा। लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि इस बार ‘मेन इन ब्लू’ वाकई अपने रंग में दिखें। आखिरकार, जब पूरा देश ‘चैंपियंस’ का सपना देख रहा हो, तो टीम इंडिया को सपने को सच करना ही पड़ेगा।